Homeबड़ी खबरेहरतालिका तीज का व्रत आज , यहां जानें शुभ मुहूर्त, समय, पूजा...

हरतालिका तीज का व्रत आज , यहां जानें शुभ मुहूर्त, समय, पूजा विधि और मंत्र

आज यानी 6 सितंबर 2024 को  हरतालिका तीज का पर्व मनाया जा रहा है। हर साल भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का पर्व मनाया जाता है। यह व्रत माता पार्वती और भगवान भोलेनाथ को समर्पित है। यह व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सुख-सौभाग्य की कामना के लिए रखती हैं। कुछ स्थानों में कुंवारी कन्याएं भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं। निर्जला व्रत होने के कारण ये बेहद ही कठिन माना जाता है। इस दिन महिलाएं अन्न-जल ग्रहण किए पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। हरतालिका तीज खासतौर से उत्तर भारत के राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और झारखंड में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल हरतालिका तीज 6 सितंबर 2024 को मनाया जाएगा। आइए जानते हैं हरतालिका तीज के पूजा मुहूर्त, दान , पूजा विधि, मंत्र आदि के बारे में।  

हरतालिका तीज व्रत तिथि
भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि आरंभ: 5 सितंबर 2024, गुरुवार, दोपहर 12:21 पर 
भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि समाप्त: 6 सितंबर 2024, शुक्रवार, सायं 03:01 पर 

हरतालिका तीज पूजा शुभ मुहूर्त 2024
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 06 सितंबर 2024 को प्रातः 06:01 बजे से प्रातः 08:32 बजे तक रहेगी। 
कुल मिलाकर 2 घंटे 31 मिनट का पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा।

हरतालिका तीज पूजा सामग्री
शिवलिंग बनाने के लिए तालाब या नदी की स्वच्छ मिट्टी, रेत का भी उपयोग कर सकते हैं।  चंदन, जनेऊ, फुलेरा, पुष्प, नारियल, अक्षत 5 पान के पत्ते, 5 इलायची, 5 पूजा सुपारी, पांच लौंग, 5 प्रकार के फल दक्षिणा, मिठाई, पूजा की चौकी, धतूरे का फल, कलश, अभिषेक के लिए तांबे का पात्र, दूर्वा, आक का फूल, घी, दीपक, अगरबत्ती, धूप, कपूर, व्रत कथा पुस्तक, शिव को चढ़ाने के लिए 16 तरह के पत्ते – बेलपत्र, तुलसी, जातीपत्र, सेवंतिका, बांस, देवदार पत्र, चंपा, कनेर, अगस्त्य, भृंगराज, धतूरा, आम पत्ते, अशोक के पत्ते, पान पत्ते, केले के पत्ते, शमी के पत्ते पूजन सामग्री में शमिल करें। 

हरतालिका तीज व्रत पूजा विधि

  • हरतालिका तीज पर ब्रह्ममुहूर्त में स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें। 
  • जो महिलाएं सुबह पूजा करते हैं वह शुभ मुहूर्त का ध्यान रखें। 
  • हरतालिका तीज के सूर्यास्त के बाद शुभ मुहूर्त में पूजा श्रेष्ठ होती है। 
  • पूजा से पहले सुहागिन स्त्रियां सोलह श्रृंगार कर बालू या शुद्ध काली मिट्टी से शिव-पार्वती और गणेश जी की मूर्ति बनाएं। 
  • पूजा स्थल पर केले के पत्तों से मंडप बनाएं। 
  • गौरी-शंकर की मूर्ति पूजा की चौकी पर स्थापित करें। गंगाजल, पंचामृत से उनका अभिषेक करें।
  • इसके बाद गणेश जी को दूर्वा और जनेऊ चढ़ाएं। शिव जी को चंदन, मौली, अक्षत, धतूरा, आंक के पुष्प, भस्म, गुलाल, अबीर, 16 प्रकार की पत्तियां आदि अर्पित करें। 
  • मां पार्वती को सुहाग की सामग्री चढ़ाएं। अब भगवान को खीर, फल आदि का भोग लगाएं। 
  • धूप, दीप लगाकर हरतालिका तीज व्रत की कथा सुनें। कथा समाप्त होने के बाद आरती करें। 
  • रात्रि जागरण कर हर प्रहर में इसी तरह पूजा करें। 
  • अगले दिन सुबह आखिरी प्रहर की पूजा के बाद माता पार्वती को चढ़ाया सिंदूर अपनी मांग में लगाएं। 
  • मिट्टी के शिवलिंग का विसर्जन कर दें और सुहाग की सामग्री ब्राह्मण को दान दें। 
  • प्रतिमा का विसर्जन करने के बाद ही व्रत का पारण करें। 

हरतालिका तीज पूजा मंत्र 

गणेश जी का मंत्र
वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभः।
निर्विघ्नं कुरूमे देव, सर्व कार्येषु सर्वदाः।।

भगवान शिव का मंत्र
ॐ नम: शिवाय
ॐ  महेश्वराय नमः
ॐ पशुपतये नमः

माता पार्वती का मंत्र
ॐ पार्वत्यै नमः
ॐ  उमाये नमः
या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

 मां पार्वती को सिंदूर चढ़ाने का मंत्र
सिंदूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्।
शुभदं कामदं चैव सिंदूरं प्रतिगृह्यताम्।।

हरतालिका तीज में करें इन चीजों का दान 
हरतालिका तीज के दिन चने और मसूर की दाल का दान अवश्य करें। इससे सुहागिन महिलाएं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है और उनकी जीवन में आ रही परेशानियां भी दूर हो सकती है। इस दिन सुहागिन महिलाएं दान करने के बाद अपना हाथ साफ पानी से जरूर धोएं। 

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए दैनिक अर्क उत्तरदायी नहीं है। 

RELATED ARTICLES

Most Popular

error: Content is protected !!