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नशा सर्वनाश का द्वार है शरीर को रोगी, बुद्धि का नाश, धन की बर्बादी ,संस्कारों की होली और चरित्र की हत्या हो जाती है – डॉ0 कमलेश

बस्तर संभाग के शैक्षणिक संस्थाओं को तम्बाकू मुक्त करने आयोजित हुयी कार्यशाला।

संभाग के समस्त नोडल अधिकारियों, खण्ड शिक्षा अधिकारियों एवं खण्ड स्त्रोत समन्वयकों को बतायी गयी तम्बाकू नियंत्रण की नीतियॉ।
जगदलपुर दिनांक 04 सितम्बर 2024 छत्तीसगढ़ राज्य स्वास्थ्य एवम परिवार कल्याण विभाग द्वारा राज्य में निरंतर तम्बाकू नियंत्रण के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। संचालक स्वास्थ्य सेवाए ऋतुराज रघुवंशी तथा आयुक्त बस्तर संभाग डोमन सिंह के निर्देश पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग तथा ब्लूमबर्ग परियोजना छ0ग0 के संयुक्त तत्वाधान में बस्तर संभाग अंतर्गत समस्त जिलों के शिक्षा विभाग के जिला नोडल अधिकारी, खण्ड शिक्षा अधिकारी तथा खण्ड स्त्रोत समन्वयकों के लिए जगदलपुर में एक दिवसीय संभाग स्तरीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण के प्रारंभ में उप संचालक शिक्षा श्रीमति मधु वर्मा द्वारा जिला स्तर पर तम्बाकू मुक्त शैक्षणिक संस्था के दिशा अनुरुप यथाशीघ्र कार्यवाही हेतु सभी को निर्देशित किया गया। जिला शिक्षा अधिकारी बी. आर. बघेल द्वारा शैक्षणिक संस्थाओं में जागरुकता कार्यक्रमों के आयोजन करते हुये तम्बाकू नियंत्रण की दिशा में बेहतर प्रयास करने के सुझाव दिये गये।


इस प्रशिक्षण में तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के राज्य नोडल अधिकारी डॉ0 कमलेश जैन भी ऑनलाईन माध्यम से उपस्थित हुये और राज्य स्तर मेें तम्बाकू नियंत्रण हेतु किये जा रहे प्रयासों की जानकारी साझा की। पं. जवाहरलाल स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ0 नेहा सिंग ने भी ऑनलाईन माध्यम से जुड़ कर तम्बाकू के हानीकारक प्रभावों के सबंध में किये गये अध्ययन की जानकारी साझा की। स्व. बलीराम स्मृति शा. चिकित्सा महाविद्यालय के प्रदर्शक मेडिसीन विभाग डॉ0 कमलेश इजारदार ने सभी प्रतिभागियों को संबोधित करते कहा कि नशा आतंकवाद से अनंत गुना ज्यादा खतरनाक है। आतंकवादी कभी-कभी कुछ लोगों पर हमला करते हैं लेकिन नशा लाखों लोगों को अकाल मौत का शिकार बनाता है। उन्होंने कहा कि नशा सज्जन व्यक्ति को भी शैतान बना देता है युवा पीढ़ी खोकली हो जाती है। तो देश की एकता अखंडता खतरे में पड़ जाएगी। बस्तर में धड़ल्ले से बढ़ रहे नशे को तत्काल रोकना आवश्यक हो गया है क्योंकि नशे का दुष्प्रभाव इंसान के साथ पशु पौधे और पूरी प्रकृति पर पड़ता है। नशे की चपेट में बस्तर की हरियाली भी खतरे में पड़ रही है। क्योंकि नशीली पदार्थों के पैकेट नॉन रीसाइक्लेबल होते हैं और इनका बायोडिग्रेडेबल अधिक होता है जिसकी वजह से जल और वायु प्रदूषण का खतरा हमेशा बना रहता है । सरकार के द्वारा संचालित नशा मुक्ति केंद्र (टीसीसी सेंटर) टोबैको सीजेशन सेंटर एक बहुत ही अच्छा कारगर कदम है, जिसके माध्यम से लोगों को तंबाकू की लत से छुड़वाने हेतु काउंसलिंग किया जाता है।
कार्यक्रम में ब्लूमबर्ग परियोजना के राज्य कार्यक्रम समन्वयक डॉ0 शैलेन्द्र मिश्रा ने राष्टीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम, तम्बाकू नियंत्रण हेतु प्रभावशील नीतियों के बारे में विस्तार से बताया। तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम बस्तर के जिला सलाहकार हनी गोटलीब के द्वारा जिला स्तर पर तम्बाकू नियंत्रण हेतु किये जा रहे प्रयासों को सबके समक्ष रखा। संभागीय सलाहकार प्रकाश श्रीवास्तव द्वारा तम्बाकू मुक्त शैक्षणिक संस्था के दिशा निर्देशों की जानकारी दी गई। साथ ही तम्बाकू मुक्त शैक्षणिक संस्था के विषय को शाला प्रबंधन समिति की बैठकों में भी चर्चा करने का सुझाव दिया गया।


ऑकड़े क्या कहते हैं – भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा तम्बाकू उपभोक्ता और उत्पादक है। ऐसे में तम्बाकू का सेवन एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता और चुनौती है। GATS-2, 2016-17 में बताया गया कि राज्य की कुल 39.1 प्रतिशत वयस्कों की आबादी द्वारा किसी न किसी रुप में तम्बाकू का उपयोग किया जाता है। साथ ही छत्तीसगढ़ में कार्यस्थल पर सेकेंड हैंड धुएं का एक्सपोजर 21.3% है, घर पर सेकेंड हैंड धुएं का एक्सपोजर 35% है और किसी भी सार्वजनिक स्थान पर एक्सपोजर 22.8% है। साथ ही GYTS-4 के अनुसार वर्तमान में शाला प्रवेशी 13 से 15 वर्ष आयु वर्ग के कुल 8% बच्चे भी तम्बाकू की चपेट में आ चूके हैं, जो की चिंता का विषय है। हालाँकि NTCP और COTPA 2003 के प्रावधानों को लागू करने के प्रयास किए गए हैं, लेकिन राज्य के सभी जिलों में तंबाकू नियंत्रण की संस्थागत तंत्र को मजबूत करने और COTPA 2003 सहित अन्य तंबाकू नियंत्रण की नीतियों के अनुपालन के लिए मजबूत प्रयासों की आवश्यकता है।

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