उद्योगों को अधिकतम प्रोत्साहन देने हेतु नई औद्योगिक नीति में है विशेष प्रावधान
बस्तर के लोगों हेतु रोजगार और स्वरोजगार के अवसर सृजित करने उद्योग-धंधों को मिलेगी सहायता
जगदलपुर 17 अप्रैल 2025/ बस्तर संभाग में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने हेतु नई औद्योगिक विकास नीति 2024-30 के सफल क्रियान्वयन एवं यूजर्स की जागरूकता की दिशा में कलस्टर स्तरीय यूजर फीडबैक एंड सेनेटाइजेशन के लिए गुरुवार को कलेक्टोरेट जगदलपुर में आयोजित संभागीय स्तरीय कार्यशाला में विकसित बस्तर के लिए उद्योगों की भूमिका को लेकर विस्तृत चर्चा हुई। इस दौरान वक्ताओं ने नई औद्योगिक नीति के तहत बस्तर संभाग में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ खनिज आधारित, कृषि, खाद्य प्रसंस्करण और पर्यटन उद्योगों की असीमित संभावनाओं को साकार करने हेतु सकारात्मक पहल करने पर जोर देते हुए इस दिशा में राज्य शासन के सार्थक प्रयासों को सराहनीय निरूपित किया।
इस अवसर पर बस्तर चैंबर आफ काॅमर्स एण्ड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष श्री श्याम सोमानी ने कहा कि विकसित बस्तर की परिकल्पना को साकार करने हेतु उद्योग-धंधों का समग्र विकास जरूरी है। वर्तमान में बस्तर में उद्योगों के लिए आर्थिक सहायता सहित भूमि बैंक, रेल, हवाई सेवा और सड़कों की बेहतर कनेक्टीविटी को प्राथमिकता देना आवश्यक है। साथ कि उद्योगो के लिए पानी की समुचित उपलब्धता के लिए कार्ययोजना बनाए जाना चाहिए। उन्होंने राज्य शासन द्वारा इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों को सराहनीय निरूपित करते हुए आगामी दिनों में प्रस्तावित इन्वेस्टर्स मीट के लिए स्थानीय उद्यमियों को शामिल करने सहित उद्यमियों के साथ हर तीन महिने में बैठक किए जाने का सुझाव दिया। कार्यशाला में उघु उद्योग भारती जगदलपुर के लिए अध्यक्ष श्री राजेन्द्र पाण्डेय ने कहा कि बस्तर में लघु एवं सूक्ष्म उद्योगों के विकास की अपार संभावना हैं। स्थानीय स्तर पर कृषि एवं वनोत्पाद भी प्रचुर है जिससे मूल्य प्रसंस्करण के दिशा में भी व्यापक पहल किया जा सकता है। उन्होंने बस्तर के लोगों के आर्थिक विकास के लिए उक्त सेक्टरों पर आधारित लघु एवं सूक्ष्म उद्योगों को बढ़ावा देने का सुझाव दिया।
कार्यशाला के आरंभ में संयुक्त संचालक उद्योग श्री शिव राठौर ने कार्यशाला के उद्देश्य के बारे में अवगत कराते हुए कहा कि वाणिज्य एवं उद्योग विभाग द्वारा उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए निरंतर प्रयास किया जा रहा है। बस्तर की ताकत इस्पात और पर्यटन है, साथ ही कृषि-वनोत्पाद और कौशल की अहम भूमिका भी है, इसे देखते हुए शासन उक्त दोनों सेक्टरों पर ज्यादा ध्यान दे रही है। उन्होंने उपस्थित उद्यमियों और अधिकारियों से विकसित बस्तर के लिए उद्योगों के विकास को बढ़ावा देने हेतु अमूल्य सुझाव देने का आग्रह किया। कार्यशाला में मुख्य महाप्रबंधक श्री अजित बिलुंग ने बताया कि औद्योगिक विकास नीति में विकसित बस्तर की ओर का रोडमैप तैयार करने के लिए भूमि बैंक प्रबंधन को मजबूत करना और व्यापार को आसान बनाना समाहित है। स्थानीय उद्योगों (वस्त्र, खाद्य प्रसंस्करण, हस्तशिल्प) के लिए प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना, विशेष रूप से जनजातीय युवाओं और महिला उद्यमिता पर फोकस किया जा रहा है। इस्पात, धातु प्रसंस्करण, कृषि, वनोपज आधारित उद्योग और हर्बल-औषधीय उत्पादों के लिए क्लस्टर की स्थापना की जा रही है। ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों में सभी मौसमों के लिए उपयुक्त सड़कों का निर्माण और राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नेटवर्क के साथ एकीकरण का काम हो रहा है। स्टार्टअप्स के लिए समर्थन हेतु नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए विशेष योजनाएं संचालित की जा रही है।
इस दौरान उप संचालक उद्योग श्री प्रफुल्ल साहू ने अवगत कराया कि औद्योगिक नीति 2024-30 के अनुसार बस्तर संभाग के विकास के लिए 32 में से 28 विकासखंडों को समूह 3 के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है, ताकि उद्योगों को अधिकतम प्रोत्साहन मिले। विकास की मुख्य धारा में बस्तर को जोड़ने के लिए नई औद्यौगिक नीति में आत्मसमर्पित नक्सलियों को रोजगार देने के लिए रोजगार सब्सिडी का प्रावधान है जिसमे 5 वर्षों तक शुद्ध वेतन का 40 प्रतिशत का प्रावधान है। अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग और नक्सलवाद प्रभावित लोगों के लिए 10 प्रतिशत अतिरिक्त सब्सिडी का प्रावधान है। युवाओं के लिए प्रशिक्षण व्यय प्रतिपूर्ति तथा मार्जिन मनी सब्सिडी का प्रावधान है जिसमें अनुसूचित जाति-जनजाति वर्गऔर नक्सलवाद प्रभावित व्यक्तियों द्वारा स्थापित नए लघु एवं सूक्ष्म उद्योगों के लिए 25 प्रतिशत तक की सब्सिडी है। कार्यशाला के दौरान विशेषज्ञ एवं मास्टर ट्रेनर्स श्री प्रतीक तिवारी, सुजाय डे और श्री तेजनारायण द्वारा बस्तर में औद्योगिक विकास एवं रोजगार सृजन की नई पहल पर प्रस्तुति देने के साथ ही प्रतिभागियों के शंकाओं का समाधान किया गया। इस कार्यशाला में समूचे बस्तर अंचल के जिला उद्योग केंद्रों के अधिकारियों सहित श्रम अधिकारी तथा बस्तर चेम्बर आफ काॅमर्स, जूनियर बस्तर चेम्बर आफ काॅमर्स, लघु एवं सूक्ष्म उद्योग संघ, पर्यटन समितियों के पदाधिकारियों एवं सदस्यों सहित बड़ी संख्या में नव उद्यमी उपस्थित थे।
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कलस्टर स्तरीय यूजर फीडबैक एंड सेनेटाइजेशन हेतु हुई संभागीय स्तरीय कार्यशाला
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बस्तर के लोगों हेतु रोजगार और स्वरोजगार के अवसर सृजित करने उद्योग-धंधों को मिलेगी सहायता