बस्तर दशहरा 2022 : इस बार 6 साल की पीहू पर सवार होंगी काछनदेवी, बस्तर राज परिवार को देंगी दशहरा मनाने की अनुमति

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75 दिनों तक चलने वाले विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा मनाने की तैयारी के लिए रविवार 25 सितबंर को मान्यताओं के अनुसार काछनदेवी की अनुमति मांगी जाएगी।

जगदलपुर के भंगाराम चौक के पास स्थित काछनगुड़ी में यह रस्म पूरी की जाएगी। जहां बेल के कांटों से बने झूले में झूल काछनदेवी राज परिवार को रथ खींचने और दशहरा मनाने की अनुमति देतीं हैं।

इस साल पहली कक्षा में पढ़ने वाली 6 साल की पीहू श्रीवास्तव पर काछनदेवी सवार होंगी। पीहू इस विधान को पूरा करने देवी की आराधना कर रही हैं। पिछले कुछ दिनों से उपवास भी रखा है। आज यानि रविवार शाम बस्तर राज परिवार के सदस्य कमलचंद भंजदेव काछनगुड़ी पहुंचेंगे। फिर, देवी से दशहरा मनाने की अनुमति लेंगे

610 सालों से चली आ रही है ये परंपरा

दरअसल, पनका जाति की कुंवारी कन्या ही इस रस्म को अदा करती है। 22 पीढ़ियों से इसी जाति की कन्याएं इस रस्म की अदायगी कर रही हैं। 6 साल की पीहू पहली बार इस रस्म में शामिल हुई है। इससे पहले पिछले साल तक इसी जाति की कुंवारी कन्या अनुराधा ने रस्म पूरी की थी।

बेल के कांटे के बने 9 झूले तैयार

Bastar Dussehra: इस विधान को पूरा करने हर साल बेल के कांटे के 9 झूले बनाए जाते हैं। झूलों को तैयार कर रहे जयराम नेताम और उनके पिता जगतराम नेताम ने बताया कि सालों से चली आ रही परंपरा में उनका परिवार हर साल 9 झूले तैयार करता है।

5 झूलों का उपयोग काछनगुड़ी विधान को पूरा करने में होता है। रस्म में एक बड़े झूले पर काछिन देवी को लिटाया जाता है तो वहीं बाकी के दो झूले बैठने और उनके सिरहाने में लगाए जाते हैं।